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Electricity from Solar Energy |
दूरच्या वेळखाऊ मार्गात शेतीबद्दल प्रशिक्षण, पाणी व यासारखे मार्ग आहेतच. त्याबद्दल सध्या शेतकऱ्यांना पुरेशी माहिती दिली जात आहे. तेंव्हा येथे वेगळे मार्ग पाहू या.
भारताला वीजेची आवश्यकता उत्पादनापेक्षा खूपच जास्त आहे. शेतकऱ्याकडून वीजेचे उत्पादन करुन घेणे भारतासारख्या देशाला सहज शक्य आहे. जेथे आवश्यकते पेक्षा खूप कमी पाऊस पडतो तेथे पाण्याचा बंदोबस्त करण्यापेक्षा वीज उत्पादन करणे जास्त सुलभ व कमी खर्चात करणे शक्य आहे. इतर ठिकाणी ओसाड जमीनीवर किफायतशीर वीज उत्पादन शक्य आहे. थोडक्यात वीज उत्पादन हा शेतकऱ्याचा जोड धंदा होऊ शकतो. या करिता दोन शक्यता आहेत. पहिली सूर्यप्रकाशाचा उपयोग करुन सौर उर्जेपासून वीज बनविणे व दुसरा शेतातील कामाकरिता पाळलेले बैल घाण्यासारख्या यंत्राला जूंपून निदान बॅटरी चार्जिंगला लागणारी वीज उत्पादन करणे. भारतामध्ये औद्योगिक उत्पादन करणारे उत्पादन खर्च अधिक कर अधिक नफा यावर वस्तूची किंमत ठरवितात व गिऱ्हाईकांना ते सांगतील त्या किंमतीला माल घ्यावाच लागतो. त्यांचेकडे दुसरा पर्याय असतो तो म्हणजे माल विकत न घेण्याचा. शेतकऱ्यांचा मालाबाबतीत हे घडत नाही. शेतकरी माल साठवून ठेऊ शकत नाही. त्यामुळे मिळेल त्या किंमतीला शेती माल विकणे अनिवार्य ठरते. शासन या वर उपाय करू शकते. तो म्हणजे एक तर स्वतः शेतीमाल साठविण्याचा बंदोबस्त करणे व बँकाना शेतीमाल तारण ठेऊन त्यावर कर्ज देणे. दुसरा उपाय शेतकऱ्यांना सहकारी संस्था स्थापन करुन त्यांना कर्ज देऊन शेतीमाल साठविण्याची व्यवस्था करणे व ते तारण ठेऊन बँकांनी कर्ज देणे. निरनिराळ्या ठिकाणी या प्रकारचा बंदोबस्त करणे शक्य आहे. उदाहरणार्थ काही ठिकाणी शेतातील कचऱ्यापासून वीज उत्पादन शक्य आहे. शासनाने वेळोवेळी कर्जमाफी देण्यापेक्षा असे उपक्रम राबवावेत.
Solar & Wind Enwegy |
हिंदी में इध़र पढ़िये।
पैसों की अपेक्षा रख़ना बुरी बात नही है यदी यह अपेक्षा अच्छे काम करने के लिये हो तो। किसान तो ख़ेत मे मेहनत कर के पूरी दुनिया के लिये अऩाज निर्माण करता है। मगर उसे चाहकर भी मेहनत की कमाई मिल जाएगी इस का भ़रोसा शासन नही देती। अक्सर देख़ा जाता है की, ठेकेदार बेपारी रात दुगुनी दिन चौगुनी तरक्की करते है। तरक्की करना बहुत अच्छी बात है। इससेभी कई गुना अच्छ़ी तरक्की राजनीतीज्ञ करते है। एकाध़ दुसरे साल में करोड़ों के मालिक बन जाते है। ऐसी तरक्की किसान क्यूँ नही करता। यदी ठेकेदार या बेपारी या राज़नीत़ीज्ञ निक्कमे किसानों को प्रशिक्षण दे कर माला माल बना दे तो किसान शासनसे सहुलियत माँगने के बज़ाय शासन का कर उत्पन्न का ज़रिया बन सकते है। मगर यह नही हो सकता तो दूसरे मार्ग ढूँढने आवश्यक है।
किसानों को उर्जा उत्पादन में सहभागी कर सकते है। कुछ़ इलाके ऐसे है जहाँ पानी ना होनेसे किसान खेती करने में असमर्थ है। कुछ़ इलाके ऐसे भी है जहाँ की जमीन उपजाऊ नही होने से खेती किफ़ायतशीर नही होती। कुछ़ किसानों के पास बैल होते है मगर उन के लिये उचित काम नही होता। ऐसा भी देख़ा गया है की, किसानों के पास खेत़ की उपज़ अच्छ़ी तरह़ सम्हल के रखने के लिये सुविधा नही होती। शासन यदी इन पर समाधान पूरक उपाय करे तो किस़ान बोझ़ बनने के बज़ाय शासन का मद़दगार साबित होगा।
ऱाजस्थान जैसे इलाके में पानी का बंदोबस्त करने के बजाय सोरऊर्जा की मद़द से बिजली उत्पादन करें तो वह जाद़ा उत्पादक होगा। हर राज्य में ऐसे इलाख़े मिलेंगे। बैटरी चार्जिंग के लिये इस्तेमाल की जानेवाली बिज़ली किसान बैलों का इसेतेमाल कर के निर्माण कर सकते है। आवश्यकता है उसे लगनेवाले संयंत्र किसानों को कर्जे पर देने की। खेत की उपज़ यदी अच्छ़े तरीकेसे संम्हालनेका और किसान को उस पर कर्जा मिल सके तो किसान भी खेत की उपज़ का भाव खुद़ तय कर सकता है। और भी कई तरीके इस्तेमाल कर सकते है जैसे खेत का कुड़ा-कचरासे बिज़ली बनाना वगैरेह।
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Farmer can be easily freed from the clutches. Example of a politician is quite important to understand how to become rich in a few years. Contractors and traders also know ways and means to make money. They take little more time though. In fact the government should make provision of training classes from these successful persons to farmers. Once the farmers are well trained there is no need to waive off loans taken by farmers. In fact the situation could be reversed. However in democracy no one can be forced even for good cause. Hence we must consider some time consuming solutions too.
It is well known that prices of commodities in
market are controlled by availability and demand for the commodity. Generally demand
for food product or farm produce remains constant during entire year with small
exception but the supply position varies throughout the year. The exception in
respect of need is because of people who make provision for storage on yearly basis.
The government should take responsibility of secured storage of all products
and produce from farms. This responsibility could be delegated to banks and
similar finance providers. Citizens also can help by storing their own annual
needs. The government may provide some subsidy for such annual purchases by the
citizens. The amount of subsidy may be calculated based on expenditure on
account of provision of secured storage for the farm produce.
India is facing a shortage of power. If farmers are employed to produce electricity from the solar energy it shall help farmers personally and the nation while facing a big energy crisis. India is blessed with banking system which is least worried about NPA. This system knows how to survive and face the problem. Farmers should be encouraged to form cooperative societies for converting solar energy into electricity. The government should buy this power and distribute wherever it is needed. Our banking sector would allow an increase in NPA due to loans sanctioned to farmers’ cooperative societies for harnessing solar power for producing electricity.
Apart from such projects, farmers should be helped through a minor secondary business like the production of chicken, eggs, and goats. In order to help farmers in dictating rate for their products, the government should provide preservation, storage of farm products and loan on stored products till those are sold in the market. This shall ensure that farmers never need freedom from loans and never commit suicide.
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