Power Corrupts |
अंग्रेजी में एक कहावत है। "व्यक्ती को भ्रष्ट बनाने का कारण सत्ता
है। अमर्याद (असीम) सत्ता व्यक्ती को अमर्याद भ्रष्टाचारी बना सकती है।" कैसा
भी कानून बनाये वह भ्रष्टाचार का निर्मुलन कुछ हद तक ही कर सकता है। वक़ील समझते है
की, कानून का उपयोग (इस्तेमाल) पक्षकार (मुवक्कील) को बचाने के लिये ही करना है। उसे
यदी दोषी पाया तो जुर्मानेसे काम होना चाहिये। शारिरिक सज़ा ना होनी चाहिये। वक़ील
कभी भी दोषी को सज़ा दिलवाने के लिये काम नही करता। वह हमेशा अपने पक्षक़ार के हित
में ही सोचता है। कोई भी मुक़दमा को 2-4 हप्ते या महिनों में अंज़ाम दिया जा सकता है।
मगर वक़ील अपना दिमाग पक्षकार को दोषी साबित ना करने केी पहले कोशिश करता है। उस में
समय जितना ज़ादा लगे उतना अपने पक्षकार के हित में है, ऐसाभी सोचता है। मैं एक चोरी का उदाहरण लेकर
मेरे विचार समझाने का प्रयास करता हूँ।