सन्माननिय अन्नाजी भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लडाई लड रहे है। भारत के सामने कई मुद्दे है। भ्रष्टाचार के साथ आतंकवादी हमले, महँगाई, शिक्षा वगैरे। आतंकवादी हमले, इस मुद्देपर अभितक किसीने पूरा ध्यान दिया नही। जब भी हमला होता है दो चार दिन इसकी चर्चा होती है, कुछ महिने जाँच होती है, न्यायाल का फ़ैसला होता है और शासन और जनता अगले हमले की राह देखते रहती है।
ना शासन कोई शाश्वत समाधान निकालती है, ना जनता शासनपर दबाव डालती है। विरोधी नेता एक ही रट लगाते है कि अमरिका जैसा कानून बनावो तो इस प्रकार के हमले बंद होंगे। इस में कोई शक नही कि, अमरिका में साल 2000 के बाद कोई हमला नही हुआ। मगर यह सच नही की सिर्फ कानून बनानेसे हमले रुक गये। अमरिका कानून के साथ पाकिस्तान को काफी मात्रा में धन और कई साधन मुफ़्त में नही दे रहा। अमरिका को पता है कि पाकिस्तान को जो भी दिया जाता है उस में से कुछ हिस्सा आतंकवादीओं को मिलता है। यह जानकर भी अमरिका मदद देना बंद नही करती। इस का यह भी मतलब निकला जा सकता है कि, आतंकवादी हमला ना होने पाये इस लिये अमेरिका पाकिस्तान के जरिये आतंकवादीयों को मदद करती है।
ना शासन कोई शाश्वत समाधान निकालती है, ना जनता शासनपर दबाव डालती है। विरोधी नेता एक ही रट लगाते है कि अमरिका जैसा कानून बनावो तो इस प्रकार के हमले बंद होंगे। इस में कोई शक नही कि, अमरिका में साल 2000 के बाद कोई हमला नही हुआ। मगर यह सच नही की सिर्फ कानून बनानेसे हमले रुक गये। अमरिका कानून के साथ पाकिस्तान को काफी मात्रा में धन और कई साधन मुफ़्त में नही दे रहा। अमरिका को पता है कि पाकिस्तान को जो भी दिया जाता है उस में से कुछ हिस्सा आतंकवादीओं को मिलता है। यह जानकर भी अमरिका मदद देना बंद नही करती। इस का यह भी मतलब निकला जा सकता है कि, आतंकवादी हमला ना होने पाये इस लिये अमेरिका पाकिस्तान के जरिये आतंकवादीयों को मदद करती है।
भारत यह रास्ता अपना नही सकता। यह हमारे सिद्धांतो के खिलाफ़ है। यदी भारत यह मार्ग अपनाये तो भी आतंकवादी हमले नही रुकेंगे। पाकिस्तान की मज़बुरी है कि, भारत के प्रति द्वेष बरकरार रखे, पाकिस्तानी जनता को गुमराह करे, भारत के प्रति द्वेष उत्पन्न कर के महँगाई जैसे मुद्दों से पाकिस्तानी जनता का ध्यान विचलित करे। भारत कितनी भी कोशिश करे पाकिस्तान भारत से दोस्ती नही करेगा। ऐसी परिस्थिती में भारत के पास सिर्फ खुद पर निर्भर रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता कमसे कम मुझे दिखाई नही देता. आतंकियोंसे पुरी दुनिया मुकाबला करना चाहती है तो, क्या कर सकती है इस बारे में मेरा विचार इधर पढ़ सकते है। मेरे विचार में बाबाजी हमारी मदद कर सकते है। सन्माननिय राम देव बाबाजी से प्रार्थना है कि इन मुद्दों पर गौर करे और भारत को आतंकवादीयों से मुक्ती दिलाने में मदद करें। भ्रषटाचार का मुद्दा भी उतना ही गंभीर और महत्त्वपूरण है। सन्माननीय अण्णा हजारे उस पर कार्य कर रहै। भ्रष्टाचार का मुद्देपर अन्नाजी काम करे और आतंकी हमले पर बाबाजी काम करे तो भारत के नागरिकों को राहत मिल सकती है। मेरे विचार से निम्नलिखीत मुद्दों पर विचार करना उचित होगा। मुद्दे संक्षिप्त में दिये है।
1. आतंकवादी जिन देशों पर हमला करते है उन्ही देशों से धन इकठ्ठा करते है और उसी से हत्यार खरीदते है। शासन पूरी सुरक्षा प्रदान नही करती इस लिये ठेकेदार आतंकवादीयों को पैसा देकर सुरक्षा खरीदते है।
2. आतंकवादी 4-5 साल के बच्चों के मन में देश के प्रती घृणा उत्पन्न कर के बच्चों को आतंकवाद ही ईश्वर चाहता है ऐसे विचार करने पर मज़बूर करते है। यही बच्चे बड़े होकर आतंकवादी बनते है।
3. आतंकवादी जनता कीे देश नही धर्म का विचार श्रेष्ठ है ऐसी भावना बनाने में कामयाब होते है।
4. आतंकवादी भारत के नागरिकों की सहायता लेकर अपना मतलब साध्य करते है।
5. आतंकवादी परदेस के शासन (जैसे चीन या पाकिस्तान) को भारत शासन से ज़ादा महत्त्व देते है।
6. आतंकवादीयों को मदद करनेवाले भारतीय भी परदेश शासन को जादा मह्त्त्व देते है।
मेरी प्रार्थना है कि, बाबाजी भारत में आश्रम शूरू करें। दक्षिण भारत में आश्रम खोले तो वह जादा परिणामकारक होगा। इस आश्रम में शूरू में 5 साल ले कर 15 साल तक के बच्चे ले ले. उस के बाद हर साल सिर्फ 5 साल के ही बच्चे लेले और उन की 12 वी तक की शिक्षा उसी आश्रम में पूरी करें। शिक्षा में स्कूल की सिलैबस तो होगी ही उस के साथ बच्चों को धर्म का पाठ पढ़ाये। धर्म का पाठ याने पुराने किताबों में लिखा हुआ पाठ वर्तमान स्थिती ध्यान में रख कर पढ़ाये। उदाहरण के तौर पर देश की सीमा लिजिये। कुछ धर्म देश की सीमा नही मानते। मगर समाज देश के सीमा में होता है। हमे समाज में बंधुत्त्व याने भाईचारा प्रस्थापित करना है। वर्तमान स्थिती में देश की सीमा महत्त्वपूर्ण है। विदेशी नागरिक अपने धर्म का हो तो भी वह पराया मानना चाहिये और भारत का नागरिक अलग धर्म का हो तो भी अपना मानना चाहिये। कुछ धर्मों का कहना है कि उस धर्म से अलग कोई भी धर्म, धर्म नही है। और दूसरा कोई धर्म माननेवाला हो तो उस व्यक्ति को काफ़र कहा जाय। धर्म के पाठ से, ऐसे पाठ निकाले जाये। ऐसे आश्रम में 50 फी सदी बच्चे काश्मीर और पूर्वांचल के हो और 50 फी सदी बच्चे जिस प्रदेश में आश्रम हो उसी प्रदेश के हो। बच्चे याने लड़के और लड़कियाँ।
मिडियाँ में वर्तमान में कश्मिर और पूर्वांचल के कलाकार नही के बराबर है। यह स्थिती सुधारकर भारत के बाकी हिस्से के साथ कश्मिर और पूर्वांचल के कलाकार लेना अपरिहार्य करना चाहिये। यह करने के लिये यदी आरक्षण का आधार लेना पडे तो भी लेना चाहिये। नागरिक भारत के किसी भी प्रदेश में रहनेवाला हो उसे भारतीय समझकर भारतीय बनाना है।
आतंकवादी सफ़ल होने का श्रेय भारत के उन नागरिकों को जाता है जो उन्हे मदद करते है। कुछ नागरिक ऐसे भी होते है कि वह मदद तो नही करते मगर जानकारी रखते है। भारत के सभी नागरिक जो आतंकीयों को मदत करते है या आतंकीयों के कारनामों की जानकारी रखते है उन को सिर्फ एक ही सज़ा होनी चाहिये और वह सजा मरने तक फाँशी। नागरिक का सहभाग आतंकी हमले में कितना है इसे गौण समझना चाहिये। कानून की एक समझ ऐसी है कि, चाहे गुनहगार छुटे मगर बेगुन्हा को सजा नही होनी चाहिये। आतंकवादी गतीविधी में ऐसा समझे कि चाहे आतंकी छुटे मगर आतंकी हमले में सहभागी भारतीय नागरिक ना छुटे।
बाबाजी आचार्य है और आचार्य ही बने रहे। नाम में राम है मगर राम के बजाय महर्षि वशिष्ठ बने। राजनीती में प्रत्यक्ष न आकर अपने सक्षम शिष्य को राजनीती में प्रवीण बना के भारत का विकास और उद्धार करें। चाणक्य को अपना आदर्श बनाये। बालासाहेब ठाकरे और सोनिया गाँधी यही कर रहे है और सफ़ल रहे है। यह दूसरी बात है कि, दोनो ही भारत के बारे में सोच नही रहे। इस लिये जनता उनसे परेशान है।
यही मेरी प्रार्थना है।
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